Fourth House Mars Mangal Effects
चौथे घर के मंगल को तलवार या ढाक का पेड़ कहा गया है।
चौथे भाव का मंगल बहुत शुभ फल नहीं देता। मेष लग्न वालों के लिए चौथे घर में कर्क राशि पड़ती हैं जो की जल तत्त्व की राशि है इस राशि में आग के गोले जैसा मंगल आकर मंदा हो जाता है। जिन लोगों के चौथे घर में मंगल होता है एक अज्ञात भय उनके मन में समाया रहता है और ये डर किस बात का होता है ये वो दूसरों को समझा नहीं पाते। कई बार ऐसा होता है की उनके द्वारा व्यक्त भावना से दूसरों को ग़लतफ़हमी हो जाने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसा इस कारन से होता हैं की वह जो कुछ भी कहना चाहता है ठीक से कह नहीं पाता। इसका सबसे बड़ा कारण देखने में यह आता है की बचपन की पारिवारिक परिस्थितियां बहुत अनुकूल नहीं होती। ऐसे घर के सदस्यों का आपस में उस तरह का प्यार नहीं होता जिससे की बच्चे की भावुकता परिपक्व हो सके और वो निडर हो के अपना विकास कर सके। कभी कभी पिता से विचार न मिलने से या पिता के सख्त स्वाभाव होने से बच्चे के मन में डर बैठ जाता है।
चौथे घर के मंगल को जलती आग या बदी का सरदार भी कहा गया है यानि की जलाने पे आ जाए तो मर्द और माया समुद्र को भी जलाकर खुश्क कर देता है। भाई की पत्नी और उसकी दौलत पर 28 साल उम्र तक ख़राब प्रभाव पड़ता है। घर के आसपास कीकर या बेरी का वृक्ष हो भुनने वाले की या हलवाई की भट्टी हो या कुछ भी जिसमे आग जलाई जाती हो तो और बुरा प्रभाव देता है। मकान का दरवाजा दक्क्षिण में हो तो भी बुरा हैं। घर से निकलते ही रसोईं या आग का समबनध दाईं तरफ भी बुरा प्रभाव देगा।
यदि किसी ऐसे वयक्ति से जमीन ले के या माकन ले के रहे जिसके औलाद न हो तो भी ज्यादा बुरा प्रभाव मिलता है। पानी वाली जगह को भर के मकान या फैक्ट्री बनाए तो तबाह हो जाता है।
यदि साथ में तीसरे या अस्टम भाव में बुध और केतु हो तो मंगल बद हो जाता है जिसके कारण विधवा औरतें और उस वयक्ति के खानदान के अपने लोग ही उसे बर्बाद कर देते है। देखने में आता है की उसकी ताई चाची आदि ही उस पर जहर जैसा प्रभाव डालकर उसे बर्बाद कर देती हैं। मंगल चार के साथ यदि शुक्र भी चार या आठ में हो तो उसकी बर्बादी का कारण कोई ताया या चाचा होगा। उपाय के तौर पर इस बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए किसी विधवा ताई चाची या माता से आशीर्वाद लेते रहना चाहिए।
मंगल चार के साथ शनि एक में हो तो वयक्ति में चोरी की भावना या दगाबाजी की आदत होगी। महिलाओं को ऐसे वय्क्तिओं से जिनके चतुर्थ में मंगल और लग्न में शनि हो बहुत सावधान रहना चाहिए। काने आदमी से और निःसंतान से जितना दूर हो सके उतना दूर रहना चाहिए। यहाँ पर मंगल के लिए मृगशाला अपने पास रखना सबसे अच्छा उपाय बताया गया है
कुछ शास्त्रों मैं लिखा है कि चौथे घर में मंगल के समय यदि कोई दो पापी गृह शनि राहु या शनि केतु या बुध केतु किसी भी भाव में एक साथ हो तो मंगल का ख़राब प्रभाव काफी हद तक काम हो जाता है। चौथे भाव में मंगल नीच का होने पे ये फल विशेष रूप से देखने में आते हैं परिवार के बाकी लोगों को भी कम ज्यादा मिलते है। ऐसा मंगल होने से उस वयक्ति के लिए जमीन मकान आदि से सम्बंधित चीजों के फल अच्छे नहीं मिलते। इन कामों से सम्बंधित काम करने पे भी लाभ की संभावना कम ही होती है। कर्क राशि जो की पूरी तरह से जल का प्रतीक हैं उसमे बैठा मंगल चली हुई कारतूश या बुझी हुई आग जैसा है इसी कारण इस घर में मंगल होने से वयक्ति अपने ही मानसिक संताप में जलता रहता है।
यदि चौथे घर में मंगल के साथ बुध भी हैं तो देखने में आता है की वयक्ति हमेशा दूसरों के घरों में रहता है। उसका अपना मकान बनाना लगभग असंभव हो जाता है। चौथा घर में मंगल नीच का होता, चन्द्रमा के घर में, जिससे की चौथे घर की लगभग सभी कारक वस्तुओं पर इसका बुरा प्रभाव ही पड़ता है और मन की शान्ति भी उसमे से एक चीज ही है। अतः यह कहा जा सकता है की चौथे घर में पड़े मंगल वाले वयक्ति को जीवन भर कोई न कोई पीड़ा रहती है। जो सम्पूर्ण शांतिमय जीवन में बाधा बनती है। कई बार परिस्थितिआ ठीक होते हुए भी मन की पीड़ा से छुटकारा पाना मुस्किल होता है।
चौथे घर में मंगल होने से नाना के परिवार के लोगों को जहर या शस्त्रों से कष्ट होता है। वास्तव में ऐसा मंगल नाना के घर के लोगों को बुरा प्रभाव दे सकता है जैसे अकाल मृत्यु गरीबी या ऐसी घटनाएँ जिससे परिवार की शान्ति में बाधा पड़े कई बार देखने में आता है की उस परिवार की स्थिति पहले के मुकाबले में गिरावट की और चली जाती है। नाना के अलावा अपने पैतृक परिवार के लिए भी ऐसा अमंगल अच्छा नहीं होता। जन्म के बाद पैतृक जायदाद नस्ट होने लगतीहै। चौथे घर में मंगल होने से वह वयक्ति ऐसे घर में जन्म लेता है जहाँ एक दो पुस्त पहले कोई बुजुर्ग बाप दादा या कोई और एक इंसान पूरा बृहस्पति के प्रभाव में अर्थात धार्मिक विचारों का खालिस सोना या साही शान में रहने वाला हो सकता है। उस परिवार में हर तरफ ख़ुशी की लहर लहराती होगी। परमात्मा की नजरें पूरी तरह मेहरबान रहती है और उसके द्वारा किये गए बुरे कर्मों का भी कोई फर्क नहीं पड़ता बल्कि इन कर्मों के कारण आगे चलकर उसके खानदान में कोई बच्चा जन्म लेता हैं जिसके चौथे घर में नीच का मंगल होता है और यहां से घर के सुख साधनो में कमी आने लगती है या बर्बाद होने लगते है। देखने में आता हैं की चतुर्थ मंगल का नीच वाले शायद ही कभी गरीब के घर में जन्म लेते हो। क्योंकि उसका जन्म तो शायद अपने परिवार को गरीबी की और ले जाने के लिए होता है।
यहाँ मंगल के साथ गुरु हो तो अचानक मृत्यु नहीं होती किसी की बल्कि गुजारे के लिए जरूरी धन दौलत में कमी आती है। यहाँ मंगल के साथ शुक्र हो तो माता के खानदान के लोग डूबते ही नजर आते है और साली की सेहत के लिए व उसकी गृहस्थ जीवन के लिए ख़राब फल करेगा।
यदि यहाँ मंगल के साथ शनि हो तो सिर्फ देखने में आता है की मंगल का बुरा प्रभाव काफी कम हो जाता है और यदि ऐसा इंसान खेती की जमीन खरीद कर कुछ खेती बाड़ी करने लगे तो मंगल का प्रभाव शुभता की और बढ़ने लगता है। यहाँ केतु होने से ख़राब प्रभाव ही मिलेगा और बेटे की और से लगभग निराशा ही मिलती है। चौथे मंगल के साथ दसवें चन्द्र हो तो माता की आयु या स्वास्थय के लिए ख़राब फल देता है।
चौथे मंगल के साथ बुध हो तो देखने में आता है की जातक को माता पिता का साथ लम्बे समय तक प्राप्त होता है। ऐसा जातक यदि बड़े भाई के साथ रहे या उनसे अच्छे सम्बन्ध रखे तो बहुत ज्यादा उसके जीवन में बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। सूर्य होने से गृहस्थ जीवन में कुछ न कुछ कमी बनी रहेगी। राहु होने से देखने में आता है की किसी न किसी मामा की आयु स्वास्थय या आर्थिक स्थिति पूरी तरह बर्बाद हो जाती है। और माता के मन की शान्ति के लिए भी खराब है।